धन योग, ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, एक ऐसा योग है जो किसी व्यक्ति के जीवन में धन और समृद्धि लाने की संभावनाएं प्रकट करता है। यह योग व्यक्ति की कुंडली में ग्रहों की स्थिति और उनके परस्पर संबंधों के आधार पर बनता है। जब कुंडली में लाभकारी ग्रह जैसे बृहस्पति, शुक्र, और चंद्रमा सकारात्मक भावों में स्थित होते हैं, तो यह व्यक्ति को धन प्राप्ति के योग प्रदान करता है। इसी प्रकार, धन योग व्यक्ति के जीवन में वित्तीय स्थिरता और समृद्धि को इंगित करता है। धन योग की पहचान के लिए कुंडली में विशिष्ट ग्रहों और भावों की स्थिति का विश्लेषण करना आवश्यक होता है, जैसे कि द्वादश भाव (आर्थिक स्थिति), सप्तम भाव (विवाह और साझेदारी), और दशम भाव (व्यवसाय और कैरियर)। इन भावों की स्थिति और ग्रहों का प्रभाव व्यक्ति की वित्तीय स्थिति को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
धन योग के प्रकार विभिन्न होते हैं और ये व्यक्ति की कुंडली में अलग-अलग स्थानों पर आधारित होते हैं। प्रमुख धन योगों में लक्ष्मी योग, कुबेर योग, और गजकेसरी योग शामिल हैं। लक्ष्मी योग तब बनता है जब बृहस्पति और शुक्र लाभकारी भावों में होते हैं और आपस में अच्छे संबंध बनाते हैं। कुबेर योग तब बनता है जब द्वादश भाव के स्वामी या अन्य लाभकारी ग्रहों का सकारात्मक प्रभाव होता है। गजकेसरी योग तब उत्पन्न होता है जब चंद्रमा और बृहस्पति एक विशेष स्थिति में होते हैं, जो व्यक्ति को आर्थिक समृद्धि प्रदान करता है। इन योगों के प्रभाव से व्यक्ति के जीवन में धन, संपत्ति, और भौतिक सुख-सुविधाओं की प्राप्ति होती है। इसलिए, ज्योतिषीय दृष्टिकोण से धन योग का विश्लेषण करना व्यक्ति के वित्तीय भविष्य को समझने और सुधारने में मददगार साबित हो सकता है।