कुंडली के पंचम भाव में स्थित ग्रह और उनके स्वामी की दशा एवं अंतर्दशा यह बताती है कि व्यक्ति को संतान सुख प्राप्त होगा या नहीं, और यदि होगा तो किस समय पर। इसके अलावा, इस भाव में पड़ने वाले योगों और दोषों का भी विशेष महत्व होता है। उदाहरण के लिए, यदि पंचम भाव में बृहस्पति, शुक्र, या चंद्रमा जैसे शुभ ग्रह स्थित हों, तो व्यक्ति को संतान सुख की संभावना अधिक होती है। दूसरी ओर, यदि शनि, राहु, या केतु जैसे अशुभ ग्रह पंचम भाव में स्थित हों, तो संतान सुख में बाधा उत्पन्न हो सकती है